करेंट अफेयर्स - 30 सितंबर, 2023

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VOC पोर्ट के माध्यम से ग्रीन अमोनिया का आयात

हाल ही में तमिलनाडु में  V.O. चिदंबरनार बंदरगाह ने अपनी 'गो ग्रीन' पहल के हिस्से के रूप में पहली बार ग्रीन अमोनिया का आयात किया।

  • पारंपरिक ग्रे अमोनिया के उपयोग से हटकर परीक्षण के आधार पर ग्रीन सोडा ऐश का उत्पादन करने के लिये ग्रीन अमोनिया का उपयोग किया जाएगा।
  • यह बंदरगाह पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिये 'ग्रीन पोर्ट' पहल में अग्रणी रहा है।
  • हरित अमोनिया उत्पादन वह है, जहाँ अमोनिया बनाने की प्रक्रिया 100% नवीकरणीय और कार्बन-मुक्त होती है।
  • ग्रीन अमोनिया का उत्पादन जल के इलेक्ट्रोलिसिस से हाइड्रोजन और वायु से अलग नाइट्रोजन का उपयोग करके किया जाता है। फिर इन्हें हैबर प्रक्रिया (जिसे हैबर-बॉश भी कहा जाता है) में डाला जाता है, जो सभी टिकाऊ विद्युत द्वारा संचालित होती है।
  • V. O. चिदंबरनार पोर्ट ट्रस्ट, जिसे पहले तूतीकोरिन पोर्ट ट्रस्ट के नाम से जाना जाता था, भारत के प्रमुख बंदरगाहों में से एक है। यह तमिलनाडु के थूथुकुडी में स्थित है। इस बंदरगाह को वर्ष1974 में एक प्रमुख बंदरगाह घोषित किया गया था।
    • यह तमिलनाडु का दूसरा सबसे बड़ा बंदरगाह और भारत का चौथा सबसे बड़ा कंटेनर टर्मिनल है। बंदरगाह बर्थिंग, नेविगेशन, भंडारण और बंदरगाह सुरक्षा जैसी विभिन्न सुविधाएँ प्रदान करता है।

सरना कोड

हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आदिवासियों के लिये सरना धार्मिक कोड को मान्यता देने का अनुरोध किया था। 

  • सरना कोड की उपेक्षा को लेकर चिंता जताई गई है, जो संविधान की पाँचवीं अनुसूची और छठी अनुसूची के तहत आदिवासी विकास नीतियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। 
  • सरना धर्म, जिसका पालन झारखंड में एक महत्त्वपूर्ण आदिवासी आबादी करती है, अद्वितीय है, प्रकृति पूजा पर आधारित है और मुख्यधारा के धर्मों से अलग है।
  • प्रकृति की पूजा करने वाले आदिवासियों की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान की रक्षा करने की ज़रूरत है।
    • पाँचवीं अनुसूची, छठी अनुसूची वाले राज्यों के अलावा अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों और एसटी के प्रशासन तथा नियंत्रण के लिये प्रावधान करती है।
    • छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम में आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है।


मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज़

हाल के दिनों में केरल के कोझिकोड ज़िले में निपाह वायरस के प्रकोप के दौरान भारत में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का उपयोग करने पर विचार किया गया है।

  • उच्च मृत्यु दर वाला तथा कोविड-19 से कहीं अधिक गंभीर निपाह वायरस के लिये प्रभावी उपचार की अनुपस्थिति के कारण इसे विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है।
  • एंटीबॉडी, वायरल आवरण के एक हिस्से से जुड़ जाता है और निपाह वायरस को निष्क्रिय कर देता है
  • मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का उपयोग हेंड्रा वायरस के खिलाफ भी किया गया है, जो उसी परिवार से संबंधित वायरस है।
  • एंटीबॉडीज़ प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा स्वाभाविक रूप से उत्पादित प्रोटीन होते हैं जो एक विशिष्ट विदेशी वस्तु (एंटीजन) को लक्षित करते हैं। जब वे एकल मूल कोशिका से प्राप्त क्लोन द्वारा निर्मित होते हैं तो उन्हें मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (mAbs) कहा जाता है।
  • मोनोक्लोनल एंटीबॉडी मानव निर्मित प्रोटीन हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली में मानव एंटीबॉडी की तरह कार्य करते हैं। वे एक श्वेत रक्त कोशिका की क्लोनिंग करके बनाए जाते हैं।

FSSAI द्वारा खाद्य भंडारण हेतु समाचार पत्रों के उपयोग पर प्रतिबंध

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक (पैकेजिंग) विनियम, 2018 को अधिसूचित किया है जो भोजन के भंडारण तथा उनकी पैकिंग के लिये समाचार पत्रों या इसी तरह की सामग्री के उपयोग पर सख्ती से प्रतिबंध लगाता है।

  • समाचार पत्रों में उपयोग की जाने वाली स्याही में ज्ञात नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों के साथ विभिन्न जैव सक्रिय सामग्रियाँ होती हैं, जो भोजन को दूषित कर सकती हैं और निगलने पर स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा कर सकती हैं।
  • इसके अतिरिक्त मुद्रण स्याही में सीसा और भारी धातु सहित रसायन शामिल हो सकते हैं जो भोजन में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे समय के साथ गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा हो सकते हैं।
  • FSSAI स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 (FSS अधिनियम) के तहत स्थापित एक स्वायत्त वैधानिक निकाय है।

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