विकसित देशों में नहीं हमारे देश में भी ई - मेल तेजी से सामान्य पत्रों तथा टेलीफोन वार्ताओं का स्थान लेती जा रही है , किसी को ई - मेल सन्देश भेजने के लिए लिफाफे पर पता लिखने , टिकट चिपकाने और उसे किसी पत्र पेटिका में डालने के स्थान पर आपको केवल Send बटन दबाना पड़ता है । कार्यालयी कार्यों में ई - मेल साधारण पत्र व्यवहार की तुलना में बहुत उपयोगी होता है ।
इंटरनेट पर ई - मेल भेजने और प्राप्त करने के लिए आपके पास इंटरनेट के उपयोग की सुविधा के साथ अपना ई - मेल खाता भी होना चाहिए , ऐसा खाता या तो आप इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी के द्वारा खोल सकते हैं । या मुफ्त में यह सुविधा उपलब्ध कराने वाली कम्पनियों में से किसी के द्वारा खोल सकते हैं । लेकिन मुफ्त में ई - मेल खाता खोलने पर आपको बहुत सी अनावश्यक ई - मेल प्राप्त होती है । जो विज्ञापनदाताओं की ओर से भेजी जाती हैं । कभी - कभी ऐसी ई - मेल के साथ खतरनाक वायरस भी प्राप्त हो जाते हैं । वैसे आजकल एसी सुविधा पूरी तरह मुफ्त नहीं रह गयी है । और कई कम्पनियां इसके लिए शुल्क लेने लगी हैं ।
ई - मेल पता - जब आप कोई ई - मेल खाता खोलते हैं तो आपको एक ई - मेल पता दिया जाता है , जो इंटरनेट पर आपको पहचानता है जो लोग आपको ई - मेल भेजना चाहते हैं उन्हें इसकी आवश्यकता होती है । जिन लोगों से आप ई - मेल द्वारा संपर्क करना चाहते हैं उनके ई मेल पते की आवश्यकता आपको होती है इसलिए आजकल लोग अपने विजिटिंग कार्डों पर भी ई - मेल पता छपवाने हागे हैं ।
किसी ई - मेल पते में चार तत्व होते हैं , उदाहरण के लिए इस पुस्तक के लेखक का ई मेल पता V - Kumar @ Sancharnet.in है , उसका विवरण निम्न प्रकार है
( 1 ) V - Kumar लेखक का यूजरनेम है ।
( 2 ) चिन्ह @ जिसका उच्चारण ऐट किया जाता है । यूजरनेम को सर्वर के नाम से अलग करता है ।
( 3 ) Sancharnet मेल सर्वर नेम है यह नाम उस सर्वर या कम्प्यूटर को पहचानता है जिसके द्वारा आप ई - मेल भेजते और प्राप्त करते हैं । आपको सभी ई - मेल सन्देश पहले इसी पर स्टोर किए जाते हैं ताकि आप उन्हें बाद में कभी भी पढ़ सकें ।
( 4 ) .in ' जिसका उच्चारण डाट इन किया जाता है एक विस्तार नाम है जो ई - मेल सेवा देने वाली कंपनी का प्रकार बताता है , ' Com ' या ' Org ' अन्य विस्तार नाम हो सकते हैं ।
ई - मेल भेजना और प्राप्त करना - आपको प्राप्त होने वाली ई - मेल सबसे पहले आपके मेल सर्वर में आपके ई - मेल खाते में स्टोर हो जाती है बाद में आप जब इंटरनेट कनेक्शन जोड़कर आउटलुक एक्सप्रेस प्रारंभ करते हैं तब वह ई - मेल आपके इनबाक्स फोल्डर में डाउनलोड हो जाती है इसी तरह जब आप आफ लाइन रहते हुये कोई ई - मेल संदेश तैयार करके भेजते हैं तो पहले उसे आउटबाक्स फोल्डर में रखा जाता है बाद में कभी भी कनेक्शन जोड़कर उसे प्राप्तकर्ता के मेल सर्वर को भेज सकते हैं ।
ई - मेल को कनेक्शन जोड़ते ही स्वतः डाउनलोड या अपलोड करने का कार्य उचित सेटिंग करके भी कराया जा सकता है , इसके बारे में आगे बताया जाएगा सामान्यत : आप अपनी सुविधानुसार कनेक्शन जोड़कर अपनी ई - मेल पढ़ और भेज सकते हैं ।
ई - मेल पर ऑफलाइन कार्य करना - ई - मेल पर कार्य करते समय केवल संदेश डाउनलोड करने या भेजने के लिए ही इंटरनेट से कनेक्शन जोड़ने की आवश्यकता होती है । इनबाक्स तथा अन्य फोल्डरों में संदेश स्टोर हो जाने के बाद कनेक्शन की कोई आवश्यकता नहीं होती अतः आप ई - मेल डाउनलोड करके उन पर कोई भी क्रिया ऑफलाइन करते रह सकते हैं । इस प्रकार आप इंटरनेट से जुड़ने तथा टेलीफोन लाइन व्यस्त रहने का बहुत सा समय बचा सकते हैं ।