Winding up of a company (कंपनी के समापन) से आप क्या समझते हैं। इसकी प्रक्रिया क्या है?

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Winding up of company (कंपनी का समापन)-

कंपनी का समापन से आशय कंपनी को खत्म करने से है जिसमे कंपनी की सम्पतियों को कंपनी के लेनदारों को उनकी रकम वापस करने के बाद बची हुई संपत्ति से उनके मेंबर्स को बाट दिया जाता है। इसमे एक लिक्विडेटर की नियुक्ति की जाती है जो कंपनी का कार्य भाग देखता है। 

कंपनी का समापन यानि की कंपनी का बंद होना या कंपनी का जीवन लीला समाप्त होना है ऐसा तभी होता है जब कंपनी सुचारु रूप से अपना कार्य नही कर पा रही हो वजह कई हो सकते हैं। जैसे कंपनी के पास लोन अधिक होना और उसकी पूर्ती न कर पाना। या फिर कंपनी का व्यवसाय नही कर पाना या फिर कोई और वजह हो सकती है। 

कंपनी समापन की प्रक्रिया-

 यह 2 प्रकार से होता है। 

एच्छिक समापन

न्यायालय द्वारा समापन

एच्छिक समापन-

इसमे कंपनी के  कोई मेंबर्स या कंपनी खुद समापन के लिए प्रस्ताव रख सकती है। जिसके अनुसार कंपनी का समापन सभी के लिए लाभदायक है। मेंबर्स और क्रेडिटर दोनों मीटिंग करके समापन के लिए तैयार होते है। 

इसके अनुसार कंपनी को यह सिद्ध करना पड़ता है कि कंपनी के पास इतना धन है की वह सभी लेनदारों की पूर्ती कर सकता है। 

जब कंपनी एक निश्चित कार्य हेतु बनाई गयी हो और वह कार्य पूर्ण हो गया हो तब भी कंपनी का समापन किया जा सकता है।

कंपनी बोर्ड मीटिंग करके भी यह निश्चित कर सकती है की कंपनी को समापन कैसे करना है। और कंपनी यह प्रस्ताव आर ओ सी को भेज सकती है। 

Qqइसके लिए कंपनी को एक बोर्ड मीटिंग करानी पड़ेगी जिसमे 2 या उससे अधिक डायरेक्टर को लिखित मे यह देना होगा की कंपनी सोल्वेंट है। 

यह सभी डायरेक्टर और मेंबर्स की मीटिंग होगी जिसमे ¾  भाग समापन को लेकर सहमत होना चाहिए। 

मीटिंग खत्म होने के बाद इसकी रिपोर्ट roc को देना होगा। तथा इसके साथ लिखित मे सभी डायरेक्टर की सहमति और सोल्वेंट रिपोर्ट देना होता है। 

मीटिंग के मेंबर्स और क्रेडिटर दोनों का होना आवश्यक है और दोनों को ही अपनी सहमति देनी होती है। 

मीटिंग के बाद कंपनी को न्यूज़ पेपर मे कंपनी की समाप्ति से संबंधित इश्तिहार देना होता है। 

मीटिंग के 10 दिन के अंदर एक लिक्विडेटर की नियुक्ति करनी होगी। जो कंपनी के संपूर्ण कार्य वाह को देखेगा। 

लिक्विडेटर कंपनी की सम्पतियों से लेनदारों के पैसे चुका कर बाकी मेंबर्स मे बाँट देगा। 

इसकी रिपोर्ट भी roc को देना होता है।

लिक्विडेटर समय समय पर अपनी रिपोर्ट roc को देता रहता है। 

Liqudation अर्थात समापन के बाद कंपनी चाहे तो फिर से उसको शुरू कर सकती है। 

इसके अनुसार निम्न कारण होने पर न्यायालय जाया जा सकता है। 

जहाँ लिक्विडेटर को लेकर असमंजस की स्थित हो। 

जहाँ एक से अधिक लिक्विडेटर का चुनाव किया जाना हो। 

जहाँ मेंमबर और क्रेडिटर  दोनों लिक्विडेटर का फैसला मानने को तैयार नही हो। 

न्यायालय द्वारा समापन-

कंपनी का समापन न्यायालय द्वारा निम्न प्रकार से हो सकता है। 

जब कंपनी के मेमोरंडम मे यह लिखा गया हो कि कंपनी का समापन न्यायालय द्वारा होगा। 

यदि कंपनी के ¾ डायरेक्टर न्यायालय के द्वारा समापन के लिए तैयार हो। 

यदि कंपनी के मेंबर्स मिनिमम लिमिट से कम हो जाते हैं। या फिर मैक्सिमम लिमिट से जयदा हो जाते हैं। 

यदि कंपनी अपना बिज़नेस कंपनी के इंकॉर्पोरेन के 1 साल तक नही करती है और न्यायालय को यह लगता है कि कंपनी बिज़नेस को जल्दी से शुरू नही कर पायेगी। 

यदि कंपनी अपने रिकॉर्ड roc को सही समय से नही भेजती है या उसमे कमिया पायी जाती है। 

जब ट्रीबुनल को यह लगे की कंपनी धोखा धड़ी आदि के लिए बनाई गयी है इसका समापन आवश्यक है। 

जब कंपनी ऋण चुकाने मे अश्मर्थ हो और न्यायालय को यह ज्ञात हो जाए की कंपनी की संपत्ति क्रेडिटर को भुगतान करने के लिए पर्याप्त नहीं है। 

जब न्यायालय को लगता है कि कंपनी का समापन करना न्याय संगत है। 

कंपनी के समापन के लिए कौन आवेदन कर सकता है। 

कंपनी

डायरेक्टर

अंश दाता

क्रेडिटर

केंद्र और राज्य सरकार

Roc और ट्रीबुनल


कंपनी के समापन के बाद क्या करना चाहिए-

सबसे पहले बोर्ड मीटिंग करानी होगी जिसमे यह सप्स्ट किया जाएगा की समापन कैसे हुआ तथा उसमे खातो का विवरण तथा आवश्यक निर्देश ,दायित्व की घोसणा  आदि की जाएगी। 

कंपनी liquidator को निर्वाचित करेगी जो कंपनी के खातो आदि को देखेंगे। 

liquidator को वेतन या commision कितना मिलेगा यह सभा मे तय किया जाएगा। 

समापन के 10 दिन के अंदर liquidator roc को इसका विवरण देगा। 

liquidator के निर्वाचित होने के बाद डायरेक्टर और सीईओ आदि की शक्तिया समाप्त हो जाएंगी। 

कंपनी का समापन स्वतंत्र रूप से होना चाहिए यदि किसी को भी यह गलत लगता है तो वह न्यायलय जा सकता है। 

यदि समापन मे 1 वर्ष से जादा का समय लग रहा होता है तो liquidator बोर्ड मीटिंग करेगा तथा समापन संबंधी सभी जानकारी और खाते का विवरण देगा तथा समय समय पर इसको roc को भी भेजता रहेगा । 

liquidator के कार्य –

कंपनी के समापन के बाद सभी लोगों की एक मीटिंग बुलाया जाएगी जिसमे liquidator खाते संबंधी सभी जानकारी देगा इसमे यह भी स्पष्ट किया जाएगा की संपत्ति कितने मे बेची गयी ,लेनदार कितने थे और कितना शेष बचा है। 

यह मीटिंग विज्ञापन के द्वारा बुलाया जाएगी जिसमे समय ,स्थान ,टाइम आदि पहले से लिखा होगा। 

यदि सभी को लगता है की कंपनी का समापन न्यायचित नही है तो सरकार के ऑर्डर से या ट्रिबुनल उसको विघटित कर देगी । 

समापन के 7 दिन के अंदर सभी रिपोर्ट roc को फ़ाइल हो जाने चाहिए। 

यदि समापन का कार्य जनता के हित मे नही हुआ है तो न्यायलय इसकी जांच करेगी। 

यदि न्यायालय  को यह लगता है की डायरेक्टर इस कार्य के लिए सक्षम  नही है तो  liquidator इसका विवरण roc को देता है। 

कंपनी के समापन के बाद कंपनी का विघटन हो सकता है। 

कंपनी का किसी भी विधि से समापन होगा तो दायित्वों का भुगतान निम्न प्रकार से होगा। 

सबसे पहले कर्मचारियों का बकाया 

सुरक्षित लेनदारों का बकाया 

कर्मचारियों का 4 माह का वेतन

केंद्र सरकार और राज्य सरकार का बकाया 

इसके  अतिरिक्त जब संपत्तियों से पूरा भुगतान न हो तो लेनदारों के अनुपात मे भुगतान करना। 

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