राज्यपाल की शक्तियाँ के बारे में जानते है

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राज्यपाल की शक्तियाँ - (Powers of the Governor) - इस संविधान के अन्तर्गत राज्यपाल को निम्नलिखित शक्तियाँ प्राप्त हैं

  1. कार्यपालिका शक्तियाँ ( executive powers ) 
  2. विधायी शक्तियाँ ( legislative powers ) 
  3. वित्तीय शक्तियाँ ( financial powers ) 
  4. न्यायिक शक्तियाँ ( judicial powers ) 
1. कार्यपालिका शक्तियाँ ( Executive powers) -  राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है । राज्य की कार्यपालिका शक्ति उसमें निहित होती है , जिसका प्रयोग वह , या तो स्वयं सीधे या अपने अधीनस्थ पदाधिकारी के द्वारा इस संविधान के अनुसार करता है ।

किन्तु किसी विद्यमान विधि द्वारा किसी अन्य प्राधिकारी का प्रदत्त कार्य राज्यपाल को अन्तरित किये जा सकते हैं , और संसद कानन बनाकर उसके कार्यों को उसके अधीनस्थ किसी प्राधिकारी को प्रदत्त कर सकती है 
( अनुच्छेद 154 ) 

राज्य सरकार के सभी कार्यपालिका सम्वन्धी कार्य राज्यपाल के नाम से किये जाते हैं । राज्यपाल के नाम से जारी और निष्पादित किये गये आदेशों और अन्य लिखतों को इस ढंग से प्रमाणीकृत किया जायगा जैसा कि राज्यपाल द्वारा बनाये गये नियमों के द्वारा निर्दिष्ट किया गया हो । 

राज्यपाल अनुच्छेद 165 ( 1 ) के अन्तर्गत राज्य के महाधिवक्ता ( एडवोकेट जनरल ) और अनुच्छेद 316 ( 1 ) के अन्तर्गत राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों की भी नियुक्ति करता है । 

राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार - राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार इस संविधान के उपबन्धों के अधीन रहते हुए उन विषयों तक है , जिनके सम्बन्ध में राज्य - विधानमण्डल को कानून बनाने की शक्ति प्राप्त है । 

2 . विधायी शक्तियाँ ( Legislative powers ) - राज्यपाल राज्य के विधान मण्डल का एक मुख्य अंग होता है [ अनुच्छेद 168 ( 1 ) ] | जिस राज्य में विधान मण्डल द्विसदनीय होता है , वहाँ एक सदन विधान परिषद् और दूसरा सदन विधान सभा कहलाता है , किन्तु राज्यपाल किसी भी सदन का सदस्य नहीं होता है [ अनुच्छेद 158 ( 1 ) ] । वह विधान परिषद् के लिए उसकी कुल सदस्य - संख्या के छठांश ऐसे सदस्यों को नामजद करता है , जो साहित्य , विज्ञान , कला , सहकारी आन्दोलन और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखते हैं [ अनुच्छेद 171 ( 3 ) ( ङ ) और खण्ड ( 5 ) ] । 

राज्यपाल विधान मण्डल की बैठक बुलाता है , दोनों सदनों का या विधान सभा का , यथास्थिति , सत्रावसान करता है और विधान सभा को भंग भी कर सकता है [ अनुच्छेद 174 ( 1 ) और ( 2 ) ] | वह विधान मण्डल के किसी सदन को या दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को सम्बोधित कर सकता है , और इस प्रयोजन के लिए सदस्यों को उपस्थित रहने के लिए कह सकता है । वह विधान मण्डल में लम्बित किसी विधेयक के , या किसी अन्य विषय के सम्बन्ध में कोई संदेश भेज सकता है , जिस पर विधान मण्डल के सदन शीघ्रतापूर्वक विचार करते हैं ( अनुच्छेद 175 ) । अनुच्छेद 200 के अनुसार , उसकी अनुमति के बिना कोई भी विधेयक कानून नहीं बन सकता है ।

अध्यादेश जारी करने की शक्ति ( Power of issuing ordinance ) - राज्यपाल का विधायी शक्ति के अन्तर्गत सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण शक्ति अध्यादेश जारी करने की शक्ति है
वह अनुच्छेद 213 के अन्तर्गत ऐसे समय में जब कि विधान मण्डल सत्र में न हो , अध्यादेश जारी कर सकता है , जिसका प्रभाव विधान मण्डल द्वारा पारित कानूनों के समान हा होता है । 

राज्यपाल द्वारा जारी किये गये प्रत्येक अध्यादेश को विधान मण्डल की स्वीकृति के लिए विधान सभा या दोनों सदनों के सामने उस समय रखा जायगा जब वे सत्र में हों ; अन्यथा सदन की बैठक बुलाये जाने के 6 सप्ताह बाद वह प्रभावहीन हो जायगा और यदि दोनों सदन उसे अस्वीकृत कर देते हैं , तो वह 6 सप्ताह के पहले ही प्रभावहीन हो जायगा । राज्यपाल चाहे तो उसे 6 सप्ताह के पहले वापस भी ले सकता है । 

3 . वित्तीय शक्तियाँ ( Financial powers ) - राज्यपाल की पूर्व - अनुमति से ही कोई धन - विधेयक विधान सभा में पेश किया जा सकता है [ अनच्छेद 207 ( 1 ) ] | उसका सिफारिश से ही अनुदान की माँग विधान सभा में पेश की जा सकती है [ अनुच्छेद 203 ( 3 ) ] । वह राज्य वार्षिक बजट विधान सभा में या विधान मण्डल के दोनों सदनों में पेश करता है [ अनुच्छेद 202 ( 1 ) ] । राज्य की आकस्मिक निधि ( Contingency fund ) उसकी इच्छा पर होती है , जिसका उपयोग वह अप्रत्याशित खर्चों के लिये कर सकता है [ अनुच्छेद 267 ( 2 ) ] 

4 . न्यायिक शक्तियाँ ( Judicial powers ) - राज्यपाल अनुच्छेद 161 के अन्तर्गत किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध किसी व्यक्ति के दण्ड को क्षमा , प्रविलंबन , विराम या परिहार या दण्डादेश का निलंबन , परिहार या लघुकरण कर सकता है । किन्तु ऐसा अपराध किसी राज्य - विधि के ही विरुद्ध किया गया हो । राज्यपाल की क्षमादान आदि की शक्ति वैसी ही है , जैसी कि राष्ट्रपति को अनुच्छेद 72 के अन्तर्गत प्राप्त है किन्तु राष्ट्रपति और 

राज्यपाल की शक्तियों में निम्नलिखित अन्तर हैं राज्यणल को प्राप्त नहीं है । 


  • राष्ट्रपति को मृत्युदण्ड के मामलों में क्षमादान की अनन्य शक्ति प्राप्त है . जो 
  • राष्ट्रपति को सैनिक - न्यायालय द्वारा दिये गये दण्ड या दण्डादेश के मामले में भी क्षमादान की अनन्य शक्ति प्राप्त है , जो राज्यपाल को प्राप्त नहीं है ।

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